Wednesday, June 9, 2010

मैं पल दो पल का शायिर हूँ

कल नयी पोंक्लें फूटेंगी,
कल नये फुल मुस्कायेंगे.
और नयी घांस के नए फर्श पर,
नये पाँव इठलायेंगे.
वो मेरे बीच नहीं आये,
मैं उनके बीच में क्यूँ आऊँ.
उनकी सुबहों और शामों का,
मैं एक भी लम्हा क्यूँ पाऊँ.
मैं पल दो पल का शायिर हूँ,
पल दो पल मेरी कहानी है.
पल दो पल मेरी हस्ती है,
पल दो पल मेरी जवानी है.


_____ फिल्म कभी कभी

तेरा हाथ, हाथ में हो अगर

तेरा हाथ, हाथ में हो अगर,
तो सफर ही असले हयात है.

मेरे हर कदम पे है मंज़िलें,
तेरा प्यार ग़र मरे साथ है.

मेरी बात का मेरी हमनफ़स,
तू जवाब दे कि ना दे मुझे,

तेरी एक चुप में जो है छुपी,
वो हज़ार बातों कि बात है.

मेरी ज़िंदगी का हर एक पल,
तेरे हुस्न से है जुड़ा हुआ.

तेरे होंठ थिरके तो सुबहें है,
तेरी ज़ुल्फ बिखरें तो रात है.

तेरा हाथ, हाथ में हो अगर,
तो सफर ही असले हयात है.


_____ फिल्म कभी कभी