Thursday, June 2, 2011

मौत

किसी शायर ने मौत के बारे में क्या खूब लिखा है:

ज़िन्दगी में दो मिनट कोई मेरे पास बैठा,
आज सब मेरे पास बैठे जा रहे थे
कोई तोहफा मिला आज तक मुझे,
आज फूल ही फूल दिए जा रहे थे
तरस गया मैं किसीके हाथ से दिए वो एक कपडे को,
और आज नए-नए कपडे ओढ़ाये जा रहे थे
दो कदम साथ चलने को तैयार था कोई,
और आज काफ़िला बनाकर जा रहे थे
आज पता चला की "मौत" इतनी हसीन होती है,
कमबख्त "हम" तो यूँही जिए जा रहे थे

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