Friday, March 26, 2010

क्या से कर दिया है, तुने क्या मुझे.......

कया जाने क्या से कर दिया है, तुने क्या मुझे,

ऐ दोस्त अब तो कुछ भी नहीं सूझता मुझे.

क्यों मैं नहीं रहा हूँ ज़माने के काम का,

अब पूछने लगा है जहां, क्या हुआ मुझे.

हालत बदल गयी है नहीं मैं रहा वो मैं,

हालांकि देखनेको कुछ भी नहीं हुआ मुझे.

हर दिल का दर्द सौंप दिया मुझ गरीब को,

अच्छा सिला ये इश्क का मेरे दिया मुझे.

पर्दे हटे नज़र से मिटे इम्तयाज सब,

कोई नहीं है ग़ैर नज़र आ रहा मुहे.

रौशन तमाम ज़िंदगी के रास्ते हुए,

सब कुछ मिला, मिला जो तेरा नक़्शे पा मुझे.

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