मैं नहीं पूछता ऐ वक़्त,
ढायेगा तू सितम कितने।
मुझे इतना तो बता दे फ़क़त,
आखिर चाहिए तुझे ज़खम कितने।
____ हाफ़िज़
ढायेगा तू सितम कितने।
मुझे इतना तो बता दे फ़क़त,
आखिर चाहिए तुझे ज़खम कितने।
____ हाफ़िज़
दोस्तों, मैंने अब तक जितनी भी ग़ज़लें, शेर-ओ-शायरी की है, सब आपकी खिदमत में हाज़िर कर रहा हूँ। उम्मीद है की आप लोगों को इस नाचीज़ का, ये मोहब्बतभरा नज़राना यकीनन पसन्द आएगा। आपका, हाफ़िज़
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