एक हम है की निहाहें,
मिलाने को तरसते हैं।
एक वो है जो निगाहें,
चुराके हँसते हैं।
_____ हाफ़िज़
मिलाने को तरसते हैं।
एक वो है जो निगाहें,
चुराके हँसते हैं।
_____ हाफ़िज़
दोस्तों, मैंने अब तक जितनी भी ग़ज़लें, शेर-ओ-शायरी की है, सब आपकी खिदमत में हाज़िर कर रहा हूँ। उम्मीद है की आप लोगों को इस नाचीज़ का, ये मोहब्बतभरा नज़राना यकीनन पसन्द आएगा। आपका, हाफ़िज़
achha likha hai bas ...ek print mistake hai use theek kar lo .....sarahniya pryaas
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