ना शराब है ना नशा है,
सिर्फ प्यासा मैख़ाना हूँ मै।
ना कोई राह ना मंज़िल,
एक अन्धा निशाना हूँ मै।
सिर्फ प्यासा मैख़ाना हूँ मै।
ना कोई राह ना मंज़िल,
एक अन्धा निशाना हूँ मै।
______ हाफ़िज़
दोस्तों, मैंने अब तक जितनी भी ग़ज़लें, शेर-ओ-शायरी की है, सब आपकी खिदमत में हाज़िर कर रहा हूँ। उम्मीद है की आप लोगों को इस नाचीज़ का, ये मोहब्बतभरा नज़राना यकीनन पसन्द आएगा। आपका, हाफ़िज़
No comments:
Post a Comment