Wednesday, May 26, 2010

...... पिये जा

पिये जा

न कोई हमसफर है,
न कोई भी हमदम है।
सुनी-सुनी है ज़िन्दगी जैसे,
और बहुत कुछ कम है
इसी ग़म में आज,
दिल तू शराब,
पिये जा, पिये जा


ज़मीन--सहर देखि,
आसमान--शब् ना देखा
हमारी सेहर--शाम कैसी बीती,
हमनें ये तक ना देखा
इसी ग़म में आज,
दिल तू शराब,
पिये जा, पिये जा


जहाँ में है कामयाब लोग,
हम तो सदा के नाकामयाब है
हर कोई है सिकंदर मुक़द्दर का,
अपना तो नसीबा ही खराब है
इसी ग़म में आज,
दिल तू शराब,
पिये जा, पिये जा


था मैं नन्हा सा तारा,
हर ग़म से था अंजाना
क्यूँ हुआ मैं जवाँ,
खो गया वो बचपन सुहाना
इसी ग़म में आज,
दिल तू शराब,
पिये जा, पिये जा


इन बादलों से गूँजती है,
आवाज़ मेरे दर्द की
कराहती है ज़मीन भी,
रोता है फ़लक भी.
इसी ग़म में आज,
दिल तू शराब,
पिये जा, पिये जा


ज़हर के प्याले हैं मेरे लिए,
कहीं कोई जाम तो होगा नहीं
आग़ाज़ ही बदतर था मेरा,
अंजाम क्या होगा सही
इसी ग़म में आज,
दिल तू शराब,
पिये जा, पिये जा


मोहब्बत की झुकी थी डाल,
वो अब तन गयी हैं क्यूँ
फूल जो खिले थे कभी राहों में,
वो अब शूल बन गये है क्यूँ
इसी ग़म में आज,
दिल तू शराब,
पिये जा, पिये जा


ये रंज--ग़म की स्याहियाँ,
ये ज़िन्दगीभर की उदासियाँ
समाता चला हूँ मैं खुद में,
इस दिल की कईं परेशानियाँ.
इसी ग़म में आज,
दिल तू शराब,
पिये जा, पिये जा


कौनसा गुनाह किया था मैंने,
बता खुदा तेरा
ये बदतर ज़िन्दगी दी मुझे,
बददुआ दूँ या शुक्रिया अदा करू तेरा
इसी ग़म में आज,
दिल तू शराब,
पिये जा, पिये जा


फूल दुनियाँ में लोगों के लिए,
अपने लिए बस काँटे हैं
सबके नसीब में खुशियाँ है,
अपने तो दिन ही कहाँ आते हैं
इसी ग़म में आज,
दिल तू शराब,
पिये जा, पिये जा


ज़िन्दगी से नहीं रहा है प्यार,
चैन की नींद भी नहीं आती
मरना तो हम भी चाहते है मगर,
कमबख्त ये मौत ही नहीं आती
इसी ग़म में आज,
दिल तू शराब,
पिये जा, पिये जा.


_____ हाफ़िज़





1 comment:

  1. wah kya bat hai dost
    bahut achche
    aapne to mera bhi pena ka mood bana diya

    ReplyDelete