हर दिल में आस हैं जीने की,
समृद्ध सुखी ऐसा एक जीवन।
जिसमें ना हो कोई भी दुःख,
ना दर्दभरा कोई भी मन।
पर अक्सर मानव भूले हैं,
जो देता है सो सुखी रहे।
और ये भी वो ना याद रखे,
कि लेनेवाला आह भरे।
क्या कहना इस मानव मन का,
इस में लोभ पाप है भरे हुए।
हर मन में भ्रष्टाचार भरा,
इस अँधकार में खड़े हुए.
अगर याद रहे छोटी कुछ बातें,
सुख में बीती कुछ यादें।
तो जान पड़े हम सबको कि,
क्या इस सबसे हम सुखी हुए।
सेवा में ही सुख मिलता है,
सेवा से ही दुःख मिटता है।
सेवा सबका ही कष्ट हरे,
सेवा ही जीवन सफल करे।
सेवा से जीवन सफल बना,
जीवन में पाप कभी न करना।
चाहे तू स्वर्ग में दास रहे,
पर नर्क में राज कभी मत करना.
समृद्ध सुखी ऐसा एक जीवन।
जिसमें ना हो कोई भी दुःख,
ना दर्दभरा कोई भी मन।
पर अक्सर मानव भूले हैं,
जो देता है सो सुखी रहे।
और ये भी वो ना याद रखे,
कि लेनेवाला आह भरे।
क्या कहना इस मानव मन का,
इस में लोभ पाप है भरे हुए।
हर मन में भ्रष्टाचार भरा,
इस अँधकार में खड़े हुए.
अगर याद रहे छोटी कुछ बातें,
सुख में बीती कुछ यादें।
तो जान पड़े हम सबको कि,
क्या इस सबसे हम सुखी हुए।
सेवा में ही सुख मिलता है,
सेवा से ही दुःख मिटता है।
सेवा सबका ही कष्ट हरे,
सेवा ही जीवन सफल करे।
सेवा से जीवन सफल बना,
जीवन में पाप कभी न करना।
चाहे तू स्वर्ग में दास रहे,
पर नर्क में राज कभी मत करना.
_____ अज्ञात कवी
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