आ तुझे दुनिया की सैर कराऊँ,
थाम के मेरा हाथ चल।
ज़मीं पर तो बहोत चल चुकी हो,
आज आसमाँ पे मेरे साथ चल।
_____ हाफ़िज़
थाम के मेरा हाथ चल।
ज़मीं पर तो बहोत चल चुकी हो,
आज आसमाँ पे मेरे साथ चल।
_____ हाफ़िज़
दोस्तों, मैंने अब तक जितनी भी ग़ज़लें, शेर-ओ-शायरी की है, सब आपकी खिदमत में हाज़िर कर रहा हूँ। उम्मीद है की आप लोगों को इस नाचीज़ का, ये मोहब्बतभरा नज़राना यकीनन पसन्द आएगा। आपका, हाफ़िज़
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