Wednesday, May 26, 2010

ज़ख्म

तमाम जिस्म में,
फूल का एक निशान मिला
मगर वो सर से पाँव तक,
लहूलुहान मिला

2 comments:

  1. वाह उस्ताद वाह....क्या खूब कही....फूल से लहूलुहान कितनी कलात्मक अभिव्यक्ति है........शुभकामनाएं।

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