दोस्तों,
हुस्न की बेवफ़ाई पर कुछ अनजान शायरों के चुनिन्दा शेर आपकी ख़िदमत में हाज़िर है।
१) हमी को क़त्ल करते हैं,
हमी से वो पूछते हैं।
शहीद-ए-नाज़ बताओ तो,
मेरी तलवार कैसी है।
२) ना खंजर से पूछो,
ना कटार से।
मेरा दिल कैसे कटा,
पूछो मेरे प्यार से.
३) शायद किसी राही को,
छाँव की ज़रूरत हो।
इसी वास्ते ऐ दोस्त,
हम धुप में चलते हैं.
४) हमने काँटों को भी,
नरमी से छुआ है लेकिन,
पर लोग बड़े बेदर्द है,
फूलों को मसल देते है.
५) ऐ आसमान तेरे,
खुदा का नहीं है खौफ।
डरते हैं ऐ ज़मीन,
तेरे इन्सान से हम।
६) लुटते अगर खिज़ा में,
तो कुछ बात ही न थी।
हमें तो रंज ये है कि,
लुट गये हम बहार में।
७) इंसानियत कि रौशनी ,
गुम हो गयी कहाँ।
साये हैं आदमी के,
पर आदमी कहाँ।
८) काश होते शमा,
जलते बस एक शब्।
हम तो आशिक हैं,
उम्रभर जलते रहेंगे.
९) एश कि छाँव हो या ग़म कि धुप,
ज़िन्दगी को कहीं पनाह नहीं।
एक विरान राह है दुनियाँ,
जिसमे कोई कयामगाह नहीं.
( कयामगाह - विश्रामगृह)
१०) ज़हरे-अफ्सुर्दगी से मरता है,
गमे-बेचारगी से मरता है।
मौत पर तो है मुफ्त कि तोहमत,
आदमी ज़िन्दगी से मरता है.
Tuesday, May 25, 2010
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