Tuesday, May 25, 2010

कुछ चुनिन्दा शेर.....

दोस्तों,
हुस्न की बेवफ़ाई पर कुछ अनजान शायरों के चुनिन्दा शेर आपकी ख़िदमत में हाज़िर है


) हमी को क़त्ल करते हैं,
हमी से वो पूछते हैं
शहीद--नाज़ बताओ तो,
मेरी तलवार कैसी है

) ना खंजर से पूछो,
ना कटार से
मेरा दिल कैसे कटा,
पूछो मेरे प्यार से.

) शायद किसी राही को,
छाँव की ज़रूरत हो
इसी वास्ते दोस्त,
हम धुप में चलते हैं.

) हमने काँटों को भी,
नरमी से छुआ है लेकिन,
पर लोग बड़े बेदर्द है,
फूलों को मसल देते है.

) आसमान तेरे,
खुदा का नहीं है खौफ
डरते हैं ज़मीन,
तेरे इन्सान से हम

) लुटते अगर खिज़ा में,
तो कुछ बात ही थी
हमें तो रंज ये है कि,
लुट गये हम बहार में

) इंसानियत कि रौशनी ,
गुम हो गयी कहाँ
साये हैं आदमी के,
पर आदमी कहाँ

) काश होते शमा,
जलते बस एक शब्
हम तो आशिक हैं,
उम्रभर जलते रहेंगे.

) एश कि छाँव हो या ग़म कि धुप,
ज़िन्दगी को कहीं पनाह नहीं
एक विरान राह है दुनियाँ,
जिसमे कोई कयामगाह नहीं.
( कयामगाह - विश्रामगृह)

१०) ज़हरे-अफ्सुर्दगी से मरता है,
गमे-बेचारगी से मरता है
मौत पर तो है मुफ्त कि तोहमत,
आदमी ज़िन्दगी से मरता है.



No comments:

Post a Comment