Thursday, May 27, 2010

हुस्न

तुम सामने बैठी रहो,
तुम्हारा हुस्न पीता रहूँ
मौत गयी जो दरमियाँ,
मरकर भी मैं जीता रहूँ

_____ हाफ़िज़

No comments:

Post a Comment